आज मै एक नयी कहानी शुरू कर रहा हूँ। आशा करता हूँ आपको पसंद आएगी। अगर कोई गलती हो गयी हो तो माफ़ कर दीजियेगा । वैसे आपके सुझाव और आलोचना का स्वागत है । इस कहानी के सभी पात्र काल्पनिक है और इनका वास्तविक ज़िन्दगी से तालुकात महज़ इतेफाक है।
एक फोटो अपने अन्दर कितनी कहानिया समेटे रहती है। वो सिर्फ एक जगह या वहाँ खड़े लोग नहीं दिखाती बल्कि लोगो की खुशिया उनके गम और ना जाने कितनी भावनाए छुपाये रहता है। यही सोचते सोचते आकाश उन पलो मे खो गया जो उसने अपनी सबसे अच्छी दोस्त जिया के साथ बिताये थे। स्कूल का पहला दिन, सड़क अभी गीली थी। कल रात शायद बारिश पड़ी थी। मौसम में इसलिए थोड़ी ठंडक भी थी। आकाश के पिताजी उससे बस स्टॉप पर छोड़ने आये थे। वहाँ पड़ोस में रहने वाले शर्मा जी भी अपनी बेटी को छोड़ने आये थे। शर्मा जी और चोपरा जी एक ही कंपनी में काम करते थे इसलिए एक दुसरे को बहुत पहले से जानते थे लेकिन आकाश और जिया की ये पहली मुलाकात थी। जब चोपरा जी और शर्मा जी बात कर रहे थे, जिया के कदम आकाश की तरफ बड़े। वो नन्हे हाथों से हाथ मिले और एक मुस्कराहट, एक मासूम सी मुस्कराहट दोनों के चहरे पर आ गयी।ये शुरुआत थी एक नयी दोस्ती की। जैसे जैसे समय बीतता गया ये दोस्ती गहरी होती गयी। एक ही कक्षा में पड़ने से, आस पास रहने से उन दोनों के बीच की दूरीयां कम होती गयी। समय जैसे एक चुटकी में गुजर गया और दोनों कब बड़े हो गए पता भी नहीं चला। एक दिन जिया आकाश के घर गयी फ्रिज से पानी की बोतल निकलते हुए बोली
जिया- आंटी आकाश कहाँ है…?
आंटी- बेटा वो तो अपने दोस्तों के साथ घूमने गया है।
जिया- सारा दिन घूमता रहता है। आंटी मै बता रही हूँ ये लड़का आपके हाथ
से निकलता जा रहा है।
आंटी- तूने ही तो इससे बिगाड़ा है। कभी भी कोई गलती करता है तो तू उसकी ही तरफदारी करती है
जिया- लेकिन आपको थोडा बहुत तो मेरे जाने के बाद डांटना चाहिए ना।
तभी आकाश घर मे घुसा।
आकाश- ओये मोटी क्या बुराई कर रही है मेरी...
जिया- मेने क्या कहा...
आकाश- कुछ ना कुछ बुरा ही बोल रही होगी। मेरे बारे में तो तू अच्छा बोल ही नहीं सकती है ना मोटी।
जिया- देखो ना आंटी हमेशा मेरे को मोटी मोटी चिडाता रहता है।
आंटी- क्यों परेशान करता है बेचारी को।
आकाश- बेचारी और ये…हूह।
आंटी- चलो दोनों खाना खा लो। मुझे पता है तुम दोनों ने सुबह से कुछ नहीं
खाया होगा।
खाने की मेज़ पर
आकाश- कितना खाती है मोती
आंटी- एसा नहीं बोलते बेटा
जिया खाना छोड़ के आकाश के कमरे में चली गयी। वहाँ वो रोने लगी।
आंटी ने आकाश को गुस्से से देखा आकाश ने एसा इशारा किया जैसे वो कह रहा हो मेने क्या किया।
आंटी- जा उसको मना ले।
आकाश- खाना तो पूरा खाने दो।
उसकी मम्मी ने फिर से उससे गुस्से से देखा तो आकाश बोला अच्छा ठीक है जा रहा हूँ। आकाश ने दरवाज़े खटखटाया और अन्दर चला गया।
जिया- तेरा ही घर है knock क्यों कर रहा है।
आकाश- ओये तू कब से इसी हो गयी।
जिया- इसी कैसी?
आकाश- Weird, लडकियों types रोने धोने वाली।
जिया- मै लड़की ही हूँ अगर तुने notice नहीं किया है तो।
आकाश- देख यार मुझे लडकियों को चुप कराना नहीं आता। तुझे तो पता है मुझे लडकियों के साथ behave करना नहीं आता इसलिए तू अपने आप चुप हो जा नहीं तो mom मुझे मार डालेगी।
जिया- तेरे से यही उम्मीद की जा सकती है।
आकाश- Sorry यार मेरा इरादा तेरा दिल दुखाने का नहीं था। मै तो बस
मजाक कर रहा था। तू रोएगी तो में भी खुश कहाँ रहूँगा। चल अब एक प्यारी सी smile दे।
जिया- ओये तू senti मत हुआ कर। अच्छा नहीं लगता।
एसा ही प्यारा सा रिश्ता था जिया और आकाश का। एक पल लड़ते थे और दुसरे पल दोस्त बन जाते थे।
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